जिस तरह राष्ट्र की सीमाओं पर हमारे जवान लड़ रहे है उसी तरह इन दिनों वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने के लिए अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग व सुरक्षा, कानून का पालन करवाने में पुलिस व नगर व क्षेत्र को स्वच्छ रखने के लिए सफाई कर्मी लगे होकर महामारी से लड़ रहे है।
इसी प्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ "खबरपालिका" के पत्रकार भी सिपाही की तरह लड़ रहा है और इसीलिए कोरोना वायरस महामारी का यह समय पत्रकारों के जीवन के लिए भी सबसे बड़ी कहानी बनेगा। एक और जहा देश की जनता हमसे उम्मीद कर रही हैं कि, हम इस दौर में उनके लिए हालत पर नज़र रखें, खबरें देते रहें, संपादन का दायित्व निभाते रहें और शासन-प्रशासन को भी स्थिति से अवगत करवाते रहे। निश्चित रूप से पत्रकार साथी अपना पत्रकारिता धर्म निभाने के लिए लगातार मैदान में डटे हुए है। वह पल-पल की खबरों से जनसामान्य व प्रशासन तक पहुँचाने में कोई कोताही नही बरत रहे है। रात हो या दिन इनकी पैनी नज़र जारी है और इसका लाभ भी सभी को मिल रहा है।
इस संकट की घड़ी में पत्रकारों द्वारा दी जा रही सेवाएं इतिहास में दर्ज होगी। शहर व गांवों की जनता पत्रकारों से खुल कर बात कर लेते है । क्योकि भारत के लोगों और पत्रकारों के बीच का यह सामाजिक करार अनूठा है। इसकी ठोस वजह उनका यह विश्वास है कि पत्रकार अपना काम बहुत कर्मठता और साहस से करते हैं. यही वजह है कि जब शासन प्रशासन उनकी बात नहीं सुनती तो देशभर में पीड़ित लोग सबसे पहले मीडिया से ही संपर्क करते हैं। आज पत्रकार भी देश के कोरोना योद्धाओं की तरह अपने कर्म को पत्रकारिता धर्म की तरह निभा रहा है।
मुझे गर्व है कि, मै भी एक पत्रकार हूँ और सामाजिक कार्य में अपने साथियों के साथ खड़ा हूँ ।
पत्रकार भी कोरोना योद्धा बन निभा रहा अपना पत्रकारिता धर्म